Sunday, April 26, 2020

Shri Shiv ji ki Aarti - ॐ जय शिव ओंकारा , स्वामी जय शिव ओंकारा ।


Shri Shiv ji ki Aarti

 HAPPY MAHASHIVRATRI-HAR HAR MAHADEV-SHIV JI KI AARTI-MAHAKAAL-

श्री शिव जी की आरती


ॐ जय शिव ओंकारा , स्वामी जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धादी धारा ।

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसासन गरुडासन वृषवाहन साहें ।

दो भुज चार चतुर्भुज दश भुज अति सोहे ।

त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ।

अक्षरमाला वनमाला रुण्डमाला धारी ।

चन्दन मृगमद सोहे भोले शशिधारी ।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाधम्बार अंगे ।

सनकादिक ब्रह्मादिक प्रेतादिक संगे ।

कर के बीच कमण्डल चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जग कर्ता जग हर्ता जग पालन कर्ता ।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ।

त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ।

 HAPPY MAHASHIVRATRI-HAR HAR MAHADEV-SHIV JI KI AARTI-


Shri Ramchandra Ji Ki Aarti-आरती कीजै रामचंद्र जी की ।


Shri Ramchandra Ji Ki Aarti

 Happy Dussehra- Happy Ram Navami-श्री रामचन्द्रजी की आरती

श्री रामचन्द्रजी की आरती


आरती कीजै रामचंद्र जी की ।

  हरी - हरी दुष्टदलन सीतापति जी की ।।

पहली आरती पुष्पन की माला ।

काली नाग नाथ लाये गोपाला ।।

दूसरी आरती देवकी नन्दन ।

भक्त उबारन कंस निकन्दन ।।

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे ।

रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे ।।

चौथी आरती चहुं युग पुजा ।

देव निरंजन स्वामी और न दूजा ।।

पांचवीं आरती राम को भावे ।

रामजी का यश नामदेव जी गावे ।।


 Happy Dussehra- Happy Ram Navami-श्री रामचन्द्रजी की आरती


Shri Krishna Ji Ki Aarti-आरती कुंजबिहारी की , श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ।।


Shri Krishna Ji Ki Aarti

 Jai shri Krishna-Happy Janmashtami-श्री कृष्ण जी की आरती

श्री कृष्ण जी की आरती


आरती कुंजबिहारी की , श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ।।

गले में बैजंती माला , बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला , नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली , राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाड़े बनमाली ;

भ्रमर सी अलक , कस्तूरी तिलक , चन्द्र सी झलक ;

ललित छवि श्यामा प्यारी की ।। श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ...

कनकमय मोर मुकुट बिलसै , देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासी बरसै ;

बजे मुरचंग , मधुर मिरदंग , ग्वालिन संग ;

अतुल रति गोप कुमारी की ।। श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ...

जहां ते प्रकट भाई गंगा , कलुष कलि हारिणी श्रीगंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा ;

बसी सिव सीस , जटा के बीच , हरै अघ कीच ;

चरन छवि श्रीबनवारी की ।। श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ...

चमकती उज्जवल तट रैनू , बज रही वृन्दावन बैनू ।

चहुँ दिसि गोपी ग्वाल धेनू ;

हंसत मृदु मंद , चांदनी चंद , कटत भाव फंद ;

टेर सुन दीन भिकारी की ।। श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ...


 Happy Janmastami-श्री कृष्ण जी की आरती-jai shri krishna


Tuesday, April 21, 2020

Shri Ramayad ki Aarti - आरती श्रीरामायणजी की - कीरति कलित ललित सिय पी की ।।


Shri Ramayad ki Aarti

 Happy Dussehra- Happy Ram Navami-

श्रीरामायणजी की आरती


आरती श्रीरामायणजी की ।

कीरति कलित ललित सिय पी की ।।

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद ।

बालमीक बिग्यान बिसारद ।।

सुक सनकादि सेष अरु सारद ।

बरनि पवनसुत कीरति नीकी ।।

गावत बेद पुरान अष्टदस ।

छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस ।।

मुनि जन धन संतान को सबरस ।

सार अंस संमत सबही की ।।

गावत संतत संभु भवानी ।

अरु घट संभव मुनि बिग्यानी ।।

ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।

कागभुसुंडि गरुड के ही की ।।

कलिमल हरनि बिषय फीकी ।

सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ।।

दालान रोग भव मूरि अमी की ।

तात मात सब बिधि तुलसी की ।।

आरती श्रीरामायणजी की ।

कीरति कलित ललित सिय पी की ।।

 Happy Dussehra- Happy Ram Navami- ram aarti


Maa Saraswati Aarti - सोहे हंस-सवारी , अतुल तेजधारी - जय सरस्वती माता ।।

Maa Saraswati Aarti

 Happy basant Panchami-saraswati puja-saraswati aarti

माँ सरस्वती की आरती


सोहे हंस-सवारी , अतुल तेजधारी ।।

जय सरस्वती माता ।।

बायें कर में वाणी , दूजे कर माला ।

शीश मुकुट-मणि सोहे , गले मोतियन माला ।।

जय सरस्वती माता ।।

देव शरण में आये , उनका उद्धार किया ।

पैठी मंथरा दासी , असुर संघार किया ।।

जय सरस्वती माता ।।

वेद-ज्ञान प्रदायिनी , बुद्धि - प्रकाश करो ।

मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो ।।

जय सरस्वती माता ।।

धूप - दीप - फल - मेवा - पूजा स्वीकार करो ।

ज्ञान - चक्षु दे माता , सब गुण - ज्ञान भरो ।।

जय सरस्वती माता ।।

माँ सरस्वती की आरती , जो कोई जन गावे ।

हितकारी , सुखकारी ज्ञान - भक्ति पावे ।।

जय सरस्वती माता ।।


 Happy basant Panchami-saraswati puja-saraswati aarti

Wednesday, April 15, 2020

Maa Laxmi Ji Ki Aarti-ॐ जय लक्ष्मी मता, मैया जय लक्ष्मी माता


Maa Laxmi Ji Ki Aarti

 HAPPY DIWALI -LAXMI PUJA-MAA LAXMI JI KI AARTI-JAI MATA DI


माँ लक्ष्मी जी की आरती 


ॐ जय लक्ष्मी मता , मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निस दिन सेवत , मैयाजी को निस दिन सेवत

हर विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता

उमा रमा ब्रह्माणी , तुम ही जग माता

ओ मैया तुम ही जग माता

सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत , नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता

दुर्गा रूप निरंजनी , सुख सम्पति दाता

ओ मैया सुख सम्पति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत , ऋद्धि सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता

तुम पाताल निवासिनी , तुम ही शुभ दाता

ओ मैया तुम ही शुभ दाता

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी , भव निधि की दाता

ॐ जय लक्ष्मी माता

जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता

ओ मैया सब सद्गुण आता

सब संभव हो जाता , मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता

तुम बिन यज्ञ न होते , वस्त्र न कोई पाता

ओ मैया वस्त्र न कोई पाता

खान पान का वैभव सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता

शुभ गुण मंदिर सुंदर , क्षीरोदधि जाता

ओ मैया क्षीरोदधि जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन , कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता

महालक्ष्मी जी की आरती , जो कोई जन गाता

ओ मैया जो कोई जन गाता

उर आनंद समाता , पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता

 HAPPY DIWALI-LAXMI PUJA-MAA LAXMI JI KI AARTI-JAI MATA DI-LAXMI MAA


Monday, April 13, 2020

Shri Vishnu Ji Ki Aarti-श्री विष्णू जी की आरती-ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे -

Shri Vishnu Ji Ki Aarti.


                                                     ॐ जय जगदीश हरे

 Krishna Aarti- श्री विष्णू जी की आरती-ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे ।-HAPPY JANMASHTAMI-DAHI HANDI-PUJA AARTI

श्री विष्णू जी की आरती


ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनो के संकट , दास जनो के संकट क्षण में दूर करे ।।

ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे , दुख बिनसे मन का , स्वामी दुख बिनसे मन का ।

सुख सम्पति घर आवे , सुख सम्पति घर आवे , कष्ट मिटे मन का ।।

ॐ जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे , शरण गहूं मैं किसकी , स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।

तुम बिन और न दूजा , तुम बिन और न दूजा , आस करूँ मैं किसकी ।।

ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा , तुम अंतर्यामी , स्वामी तुम अन्तरयामी ।

पारब्रह्म परमेश्वर , पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ।।

ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर , तुम पालनकर्ता , स्वामी तुम पालनकर्ता ।

मैं मूरक खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी , कृपा करो भर्ता ।।

ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपति , स्वामी सबके प्राणपति ।

किस विधि मिलूं दयामय , किस विधि मिलूं दयामय , तुमको मैं कुमति ।।

ॐ जय जगदीश हरे

दीनबंधु दुखहर्ता , ठाकुर तुम मेरे , स्वामी ठाकुर तुम मेरे ।

अपने हाथ उठाओ , अपने शरण लगाओ , द्वार पड़ा तेरे ।।

ॐ जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा , स्वामी पाप हरो देवा ।

श्रद्धा भक्ती बढ़ाओ , श्रद्धा भक्ती बढ़ाओ , संतान की सेवा ।।

ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जानो के संकट , दास जानो के संकट क्षण में दूर करे ।।

ॐ जय जगदीश हरे

  Krishna Aarti- श्री विष्णू जी की आरती-ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे ।-HAPPY JANMASHTAMI-DAHI HANDI-PUJA AART


Thursday, April 9, 2020

Maa Durga Aarti-दुर्गा माँ की आरती-जय अम्बे गौरी


Maa Durga Aarti

 Happy Navratri-maa durga-दुर्गा माँ की आरती

Jai Ambe Gauri


माँ दुर्गा की आरती

ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

जय आंबे गौरी , मैया जय आंबे गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत , हरी ब्रह्मा शिवरी ।।

जय अम्बे गौरी

मांग सिन्दूर विराजत , टीको मृगमद को ।

उज्जवल से दोउ नैना , चन्द्रबदन नीको ।।

जय अम्बे गौरी

कनक सामान कलेवर , रक्ताम्बर राजै ।

रक्त पुष्प गलमाला , कण्ठन पर साजै ।।

जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत , खड़ग खप्परधारी ।

सुर नर मुनिजन सेवक , तिनके दुखहारी ।।

जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित , नासाग्रे मोती ।

कोटिक चन्द्र दिवाकर , राजत सम ज्योति ।।

जय अम्बे गौरी

शुम्भ निशुम्भ विडारे , महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना , निशदिन मदमाती ।।

जय अम्बे गौरी

चण्ड मुण्ड संघारे , शोणित बीज हरे ।

मधुकैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करे ।।

जय अम्बे गौरी

ब्रह्माणी रूद्राणी तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी , तुम शिव पटरानी ।।

जय अम्बे गौरी

चौसठ योगिनी गावत , नृत्य करत भैरूं ।

बाजत ताल मृदंगा , अरु बाजत डमरू ।।

जय अम्बे गौरी

तुम हो जग की माता , तुम ही हो भर्ता ।

भक्तन की दुःख हर्ता , सुख सम्पत्ति करता ।।

जय अम्बे गौरी

भुज चार अति शोभित , खड़ग खाप्परधारी ।

मनवांछित फल पावत , सेवत नर नारी ।।

जय अम्बे गौरी

कंचन थाल विराजत , अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत , कोटि रत्न ज्योति ।।

जय अम्बे गौरी

श्री आंबे जी की आरती , जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानन्द स्वामी , सुख संपत्ति पावै ।।

जय अम्बे गौरी

 Happy Navratri-maa durga-दुर्गा माँ की आरती

Wednesday, April 8, 2020

Hanuman Chalisa Lyrics-श्री हनुमान चालीसा-जय हनुमान ज्ञान गुन सागर


Hanuman Chalisa

 श्री हनुमान चालीसा-hanuman chalisa -jai shri ram

श्री हनुमान चालीसा


दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारि.

बरनउँ रघबर बिमल जसु जो दायकु फ़ल चारि.

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार.

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार.

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर.

राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनी-पुत्र पवन सुत नामा.

महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी.

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडक कुंचित केसा.

हाथ बज्र ध्वजा बिराजै, काँधे मूँज जनेऊ साजै.

संकर सुमन केसरीनंदन, तेज प्रताप महा जग बंदन.

बिद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर.

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया.

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा.

भीम रुप धरि असुर सँहारे, रामचन्द्र के काज सँवारे.

लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हराषि उर लाये.

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई.

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं.

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा.

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते.

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा.

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना.

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू , लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू.

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं.

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते.

राम दुआरे तुम रखवारे, होत आज्ञा बिनु पैसरे.

सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना.

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै.

भूत पिचास निकट नहिं आवै, महाबीर जब नाम सुनावै.

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा.

संकट से हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै.

सब पर राम तपस्वी राजा, तिन के काज सकल तुम साजा.

और मनोरथ जो कोई लावै, सोइ अमित जीवन फ़ल पावै.

चारों जुग प्रताप तुम्हारा, हे प्रसिद्ध जगत उजियारा.

साधु संत के तुम रखवारे, ससुर निकंदन राम दुलारे.

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता.

राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के पासा.

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावे.

अंत काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई.

और देवता चित्त धरई, हनुमत से सब सुख करई.

संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमंत बलबीरा.

जै जै जै हनुमान गोसाई, कृपा करहु गुरु देव की नाई.

जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई.

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा.

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ ह्र्दय महँ डेरा.

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप

राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप

।। इति श्री हनुमान चालीसा समाप्त ।।

 श्री हनुमान चालीसा-hanuman chalisa -jai shri ram


Hanuman Bhajan in hindi - Bhajan- श्री राम की तू जपले रे माला मिलेंगे तुझे हनुमाना

Hanuman Bhajan श्री राम की तू जपले रे माला मिलेंगे तुझे हनुमाना   श्री राम की तू जपले रे माला मिलेंगे तुझे हनुमाना , रा...